दोनों पक्षों को सुनने के बाद नगर आयुक्त की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की। वक्फ बोर्ड के संपदा अधिकारी कुतुबुद्दीन अहमद ने बाद में मीडियाकर्मियों को बताया कि विवाद मस्जिद या उसकी जमीन के स्वामित्व से संबंधित नहीं है, बल्कि इसके आगे के निर्माण से संबंधित है।
उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड के अनुसार, जब शिमला अविभाजित पंजाब का हिस्सा था, तब वक्फ बोर्ड उस जमीन का मालिक बन गया जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जगत पाल ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने विवादित धार्मिक इमारत के निर्माण पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को इस मामले में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि यह मामला पिछले 14 सालों से नगर आयुक्त की अदालत में लंबित था। अहमद ने कहा कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ना पहले की तरह जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि नगर आयुक्त की अदालत ने पिछले साल वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब पिछली सुनवाई के दौरान पेश किया गया था।
अहमद ने बताया कि इसके बाद एक और समन जारी किया गया, जिसका जवाब बोर्ड ने शनिवार को अपने वकील के माध्यम से प्रस्तुत किया।
मस्जिद की वैधता का मुद्दा पिछले सप्ताह मलयाणा क्षेत्र में हुए विवाद के बाद उठा था, जब बहुसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति ने अल्पसंख्यक समुदाय के एक नाई को थप्पड़ मार दिया था, जिसके बाद नाई ने अपने दोस्तों को बुला लिया, जिसके परिणामस्वरूप झगड़ा हुआ।