दोनों के राजनीतिक रूप से फिर से एक होने के आह्वान के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में पवार ने कहा, “घरात तारी एकतरच एहेत (हम घर पर एक साथ हैं)।” हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अजित पवार एक अलग राजनीतिक इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं।
पिछले साल अजित पवार अपने चाचा से अलग होकर एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री के तौर पर शामिल हो गए थे। शरद पवार की यह टिप्पणी सत्तारूढ़ गठबंधन में अजित पवार की भूमिका को लेकर अटकलों के बीच आई है।
हाल ही में अजित ने कहा कि उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती में सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ाना एक गलती थी। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो शरद पवार ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, “वह एक अलग पार्टी में हैं। हमें किसी दूसरी पार्टी द्वारा लिए गए निर्णयों पर टिप्पणी क्यों करनी चाहिए?”
जब इस बारे में पूछा गया महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन पर पवार ने इस मुद्दे को तवज्जो नहीं देते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह इस समय कोई जरूरी मामला है।”
उन्होंने आपातकाल के बाद के चुनावों से तुलना करते हुए कहा कि मतदान से पहले मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया था। पवार ने बताया कि एमवीए का लक्ष्य समाजवादी पार्टी और किसान एवं श्रमिक पार्टी जैसी पार्टियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में प्रगतिशील विकल्प पेश करना है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इस आरोप के बारे में कि तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने में “पशु चर्बी” वाले घटिया घी का इस्तेमाल किया गया था, पवार ने कहा, “अगर कुछ भी मिलाया गया था, तो यह बहुत गलत है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
यह तब हुआ है जब भाजपा द्वारा वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को कैबिनेट मंत्री पद देने के उनके अनुरोध को ठुकराने के बाद अजित पवार को सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर अनिश्चित रास्ते का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अजित पवार को पता है कि खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।