शिंदे ने कहा, “यदि उत्तर प्रदेश हलाल प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लगा सकता है, तो अन्य राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते?”
उन्होंने बताया कि वर्तमान नियमों के तहत, एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) प्रमाणन को एकमात्र ब्रांडिंग मानक माना जाता है।
शिंदे ने कहा, “FSSAI अधिनियम की धारा 3 गलत ब्रांडिंग के बारे में बताती है। एक बार जब आप FSSAI प्रमाणन प्राप्त कर लेते हैं, तो आप किसी अन्य ब्रांडिंग का प्रमाणपत्र नहीं ले सकते।” “इसलिए, यह हलाल प्रमाणन पूरी तरह से अवैध है। आने वाले दिनों में हम इस पर प्रतिबंध लगाएंगे। अगर सरकार प्रतिबंध नहीं लगाती है, तो हम सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे।”
पणजी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिंदे ने आरोप लगाया कि मुसलमानों की लगातार पैरवी के कारण भारत में अधिकांश उत्पादों के लिए हलाल प्रमाणपत्र अनिवार्य किया जा रहा है।
शिंदे ने कहा, “हलाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था में इस हद तक घुसपैठ कर ली है कि तमिलनाडु के कई मंदिरों में हलाल-प्रमाणित प्रसाद की बिक्री की जा रही है।” उन्होंने कहा, “यह भारत में लाखों हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। हिंदुओं को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुद्ध और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध प्रसाद और असली पदार्थ मांगने का संवैधानिक अधिकार है।”