जायसवाल के महत्वपूर्ण अर्धशतक और बाएं हाथ के साथी ऋषभ पंत के साथ उनकी 62 रन की साझेदारी ने पहले टेस्ट के शुरुआती दिन भारतीय पारी को पूरी तरह ढहने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
टीम पहले 10 ओवरों में मात्र 34 रन पर तीन विकेट खोकर खतरनाक स्थिति में आ गई थी।
पीटीआई के अनुसार, जायसवाल ने दिन के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “इन परिस्थितियों में खेलना अद्भुत था। इससे मैं मजबूत बनूंगा और इससे मैं सीखूंगा कि इन सभी परिस्थितियों में कैसे खेलना है और अपनी पारी की योजना कैसे बनानी है।”
उन्होंने कहा, “मैं अपनी टीम की जरूरत के हिसाब से बल्लेबाजी करने की कोशिश करता हूं और उसी के अनुसार अपना खेल बदलता रहता हूं। अगर शुरुआत में विकेट गिर जाए तो मैं कैसे बल्लेबाजी कर सकता हूं? जब रन बन रहे हों तो मैं कैसे बल्लेबाजी कर सकता हूं?”
जायसवाल ने स्वीकार किया कि शुरुआती दो सत्रों में गेंदबाजों को कुछ सहायता मिली, जिससे भारतीय बल्लेबाजों को विवेकपूर्ण रवैया अपनाने की जरूरत पड़ी।
उन्होंने कहा, “शुरू में मुझे लगता है कि गेंद थोड़ी मूव कर रही थी और सीम कर रही थी तथा विकेट थोड़ा नीचे था। इसलिए हमने अपना समय लिया। लेकिन अगर आप आखिरी सत्र को देखें तो हमने काफी अच्छा स्कोर बनाया और मुझे लगता है कि हम इस समय अच्छी स्थिति में हैं।”
22 वर्षीय खिलाड़ी ने बताया कि वह और पंत ढीली गेंदों का इंतजार कर रहे थे, ताकि वे इसका फायदा उठा सकें, क्योंकि खेल के उस चरण में बांग्लादेश के गेंदबाजों का पलड़ा भारी था।
“मुझे लगता है कि शुरुआत में विकेट थोड़ा मददगार था और अगर आप मौसम को देखें तो थोड़ा बादल भी छाया हुआ था। लेकिन हम सुरक्षित खेलते हुए उस दौर से गुजरने की कोशिश कर रहे थे।”
जायसवाल ने कहा कि हसन महमूद, जिन्होंने चार विकेट लिए, ने कसी हुई लाइन बनाए रखी और वे तेज गेंदबाज के खिलाफ अपने पैरों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्होंने निश्चित रूप से अच्छी गेंदबाजी की लेकिन कई बार उन्होंने ढीली गेंदें भी दी जिन पर हमने रन बनाये। हम सिर्फ इस बारे में बात कर रहे थे कि हम अपने पैरों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हम यह देखने की कोशिश कर रहे थे कि रन बनाने के लिए कोई ढीली गेंद तो नहीं है और साझेदारी बनाने तथा जितना हो सके उतना लंबा खेलने की कोशिश कर रहे थे।”