गिरिधर, जिसके विरुद्ध 170 से अधिक मामले दर्ज हैं और उस पर 25 लाख रुपये का इनाम है, तथा ललिता, जिसके विरुद्ध 17 मामले दर्ज हैं और उस पर 16 लाख रुपये का इनाम है, ने हथियार डालने का निर्णय लिया।
गिरिधर 1996 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एटापल्ली दलम में शामिल हो गए और गढ़चिरौली में इसकी गतिविधियों के प्रमुख थे। उनके खिलाफ 179 मामले दर्ज हैं, जिनमें 86 मुठभेड़ों से संबंधित और 15 आगजनी के मामले शामिल हैं। उनकी पत्नी ललिता पर भी 17 मामले दर्ज हैं। समर्पण पुनर्वास योजना के तहत गिरिधर को 15 लाख रुपये तथा ललिता को केन्द्र और राज्य सरकार से 8.50 लाख रुपये मिलेंगे।
पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, “गिरिधर के आत्मसमर्पण से गढ़चिरौली में माओवादी आंदोलन की रीढ़ टूट गई है।”
उन्होंने गढ़चिरौली पुलिस के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “मैं नक्सल समस्या को समाप्त करने और उग्रवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए गढ़चिरौली पुलिस के अथक प्रयासों की सराहना करता हूं।”
गढ़चिरौली के पुलिस अधिकारी ने इन बिंदुओं पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि इस आत्मसमर्पण से क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी।