रांची शहर के बाहरी इलाके चान्हो क्षेत्र की आरती केरकेट्टा (32) भर्ती अभियान में पहली महिला हताहत हुईं। रांची के एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई।
दूसरे अभ्यर्थी की मौत की पुष्टि नहीं हुई है, जिसकी पहचान बिहार के मुंगेर जिले के करण राज (25) के रूप में हुई है। कथित तौर पर झारखंड के हजारीबाग के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई। मौतों के बाद मचे बवाल के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने 10 सितंबर तक परीक्षा पर रोक लगा दी है।
31 अगस्त को साहिबगंज में 5 किलोमीटर की दौड़ के बाद केरकेट्टा बीमार हो गईं और उन्हें उस जिले के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उनके परिवार के सदस्य उन्हें रांची ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। राज के मामले में वे ही वकील थे। शारीरिक परीक्षण 29 अगस्त को पलामू में बीमार पड़ने के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग ले जाया गया।
केरकेट्टा के साले मोहन ओरांव के अनुसार, दौड़ पूरी करने के बाद वह बेहोश हो गई थी। “शुक्रवार शाम को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने हमें बताया कि उसकी मौत ब्रेन हैमरेज के कारण हुई है।”
ओरांव ने कहा, “अभी तक इस मामले की जानकारी लेने के लिए किसी अधिकारी ने हमसे संपर्क नहीं किया है। उसकी शादी दो साल पहले हुई थी, लेकिन उसका कोई बच्चा नहीं था।”
शारीरिक परीक्षण कराने वाले बोर्ड का नेतृत्व कर रहे साहिबगंज एसपी अमित कुमार सिंह ने दावा किया कि केरकेट्टा को 31 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और अब वह होश में आ गया है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि 22 अगस्त से 2 सितंबर के बीच सात परीक्षा केंद्रों से अस्पताल भेजे गए उम्मीदवारों की संख्या का डेटा अभी तक उनके पास नहीं पहुंचा है।
भाजपा नेताओं ने एक बार फिर सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर जमकर हमला बोला और परीक्षा के कुप्रबंधन तथा हताहतों की जिम्मेदारी से बचने का आरोप लगाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मृतक अभ्यर्थियों के परिवार के एक सदस्य को 50-50 लाख रुपये मुआवजा तथा सरकारी नौकरी देने की मांग की। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार कम से कम 16 अभ्यर्थियों की मौत हो गई है तथा 300 से अधिक को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।