मानसून के दौरान बच्चों को कई संक्रमणों का खतरा होता है, क्योंकि वे स्थिर पानी और नम वातावरण में बैक्टीरिया और वायरस के संपर्क में आते हैं। सामान्य ज्वर संबंधी बीमारियों में वायरल बुखार (जैसे फ्लू और डेंगू), जीवाणु संक्रमण (जैसे टाइफाइड और श्वास नलिका के संक्रमण) और वायरल संक्रमण (जैसे फ्लू और डेंगू), जीवाणु संक्रमण (जैसे टाइफाइड और श्वास नलिका के संक्रमण) शामिल हैं। जलजनित रोग जैसे टाइफाइड, डायरिया और लेप्टोस्पायरोसिस।
युवाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
जब बच्चों में बुखार का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे दर्द, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन और निर्जलीकरण हो सकता है। कुछ गंभीर मामलों में कुछ प्रकार के संक्रमण तेजी से फैल सकते हैं, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। इसलिए माता-पिता को नियमित रूप से अपने बच्चे के तापमान की निगरानी करनी चाहिए, ताकि किसी भी लगातार या बिगड़ते बुखार के लिए डॉक्टर से सलाह ली जा सके।
पूर्व मौजूदा स्थितियाँ
मधुमेह, उच्च रक्तचाप और श्वसन संबंधी विकार (उदाहरण के लिए, अस्थमा) जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों को मानसून के मौसम में अधिक जोखिम होता है। यह जलवायु बीमारियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है, खासकर श्वसन संबंधी बीमारियों और पानी से संबंधित बीमारियों के लिए जो पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं।
प्रबंधन और रोकथाम:
स्वच्छताउन्हें बार-बार हाथ धोने का महत्व सिखाएं और संक्रमण से बचने के लिए अपने शरीर की देखभाल करना सिखाएं।
टीकाकरणआवश्यक सावधानियां अवश्य बरतें, जिनमें से एक यह सुनिश्चित करना है कि आपने आवश्यक टीके लगवा लिए हैं, उदाहरण के लिए, फ्लू का टीका।
सुरक्षित पेयजल: पानी को कभी भी कच्चा न पियें क्योंकि इससे जल जनित रोगों का खतरा रहता है।
मच्छर नियंत्रण: डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए लोगों को मच्छरदानी के नीचे सोना चाहिए और मच्छर निरोधक का उपयोग करना चाहिए, साथ ही फव्वारों, टायरों और अन्य बर्तनों को खाली करना चाहिए, जिनमें पानी जमा हो जाता है।
चिकित्सा सलाह: यदि आपको तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी या भ्रम की स्थिति हो तो कृपया चिकित्सकीय सहायता लें।
परिणामस्वरूप, इस अवधि के दौरान अच्छी स्वच्छता सुनिश्चित करना, शीघ्र जांच और उपचार करवाना तथा निवारक उपायों पर विचार करना महत्वपूर्ण है, ताकि बच्चों और दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को इन्फ्लूएंजा और अन्य संबंधित बीमारियों से बचाया जा सके।
(लेखक: डॉ. राहुल नागपाल, प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक्स एवं नियोनेटोलॉजी | फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज)
प्रत्येक शिशु को दिए जाने वाले टीकों की सूची: माता-पिता के लिए उपयोगी मार्गदर्शिका