इससे पहले मार्च में, राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल ने 18,626 पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, और यह 2 सितंबर, 2023 को अपने गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य का परिणाम है।
कैबिनेट की मंजूरी गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार 3.0 के कार्यकाल के दौरान अगले पांच साल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू किया जाएगा। उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “सरकार की योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू करने की है।”
पिछले महीने ऐतिहासिक तीसरी बार शपथ लेने के बाद अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत की थी तथा इस बात पर जोर दिया था कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश का विकास धीमा हो रहा है।
मोदी ने लाल किले से अपने भाषण के दौरान आग्रह किया था कि, “राष्ट्र को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए आगे आना होगा।” उन्होंने राजनीतिक दलों को राष्ट्र के लिए इस पहल का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू और एलजेपी ने भी औपचारिक रूप से इस कदम का समर्थन किया है, जिसका विपक्षी दलों ने विरोध किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा: “जेडीयू एनडीए की एक राष्ट्र-एक चुनाव योजना को अपना पूरा समर्थन देता है। ऐसा करने से न केवल देश को बार-बार चुनाव से छुटकारा मिलेगा, बल्कि केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकेगा।”