यह कार्रवाई एक आवेदन के बाद की गई। जया पालउमेश पाल की पत्नी ने हनीफ के वकालत लाइसेंस को रद्द करने और उन्हें अदालत में पेश होने पर रोक लगाने की मांग की है।बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सदस्य जानकी शरण पांडे के अनुसार, अब हनीफ का वकालत का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और उन्हें देश भर में किसी भी अदालत में पेश होने से रोक दिया गया है, क्योंकि आपराधिक कृत्य में उनकी संलिप्तता “पेशेवर कदाचार” के बराबर है।
हनीफ को प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने 28 मार्च 2023 को उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक और एक अन्य के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और तब से वह नैनी सेंट्रल जेल में बंद है।
हनीफ ने बयान बदलने के लिए तैयार किया था दस्तावेज
अदालत ने पाया कि पर्याप्त सबूत हैं, जो इस अपहरण मामले में हनीफ की संलिप्तता को साबित करते हैं। जया पाल द्वारा की गई शिकायत के बाद, बार काउंसिल ने एक समिति गठित की थी जिसने मामले के हर पहलू की गहन जांच की और पाया कि उमेश पाल अपहरण मामले में खान सौलत हनीफ का कृत्य “पेशेवर कदाचार” का मामला था। इसलिए, उनके वकील का पंजीकरण तत्काल रद्द करने पर सहमति बनी।
अतीक, उनके भाई अशरफ, दिनेश पासी और अन्य लोग 2005 के बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड में आरोपी थे। इस मामले में उमेश पाल गवाह थे। आरोप है कि उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया और उसे अपना बयान वापस लेने के लिए मजबूर किया गया।
28 मार्च 2023 को खान सौलत हनीफ को उसके मुवक्किल अतीक के साथ जेल भेज दिया गया, क्योंकि अदालत ने पाया कि वह एक कदम आगे बढ़कर अपराध का हिस्सा बन गया था। मुकदमे के दौरान अदालत ने पाया कि हनीफ ने बयान बदलने के लिए दस्तावेज तैयार किए थे और घटना के दौरान अपहरणकर्ताओं के साथ मौजूद भी था।
इस साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ट्रायल कोर्ट ने अतीक अहमद के साथ खान सौलत हनीफ को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। खान सौलत हनीफ ने ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक अतीक के वकील के तौर पर काम किया। उन्होंने अतीक अहमद से जुड़े हर मामले में हलफनामा दायर किया और हालात के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं लीं।